ईश्क के आँधी तूफान
** ईश्क के आँधी तूफान**
**********************
ईश्क के आँधी तुफानों संग
अंबर में बादल मंडराते हैं
अनुरागी बूंदों में कब बरसेंगे
चातक बहुत ही से प्यासे हैं
ये झुकी झुकी सी निगाहें तेरी
कुछ कहती हैं तनिक समझो
प्रेम जाल में हैं जो फँसी फँसी
अहेरी अहेर में फँसाने आये हैं
प्रणय तेज हवा का झोंका सा
पल भर में जो गुजर जाता है
मिलने को दिल ये तरसाता हैं
आँखों में स्वप्न खूब सजाये हैं
गुलिस्तां है यहाँ खिला खिला
महकों में मधु हैं मिला मिला
प्रेम सुंदर उपवन है फूलों का
रंग बिरंगे सुमन महकाये हैं
ये आँसू आँखों में शशिप्रभा से
बह कर कपोलों पर चमकते हैं
जब याद प्रियतम की आती है
नैनों में अश्रु की धारा बहाये है
दिन चढ़ता और ढल जाता है
मन का सबर बाँध टूट जाता है
शाम ढले रात को चाँद निकले
मनसीरत विरह बहुत सताये हैं
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)