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13 Apr 2022 · 1 min read

ईर्ष्या

ऐ ईर्ष्या ! क्या रंग दिखाए तूने
अपने भी किये पराये तूने
पर तू छायी रही मन मस्तिष्क में
श्लाकों से बाँधना चाह
पर तू निकल डटी सामने

पराये सुख से ईर्ष्या
उसकी शान शौकत से ईर्ष्या
उसका जैसा मैं होऊँ
इस चाह की रही ईर्ष्या
जो दोड़ाती रही हर पल

उसका जैसा पद होए
उसकी जैसी लक्ज़रीज
उसका जैसा नाम हो
उसकी जैसी शौहरत हो
दोड़ लगाता मैं रहा

पर ईर्ष्या ! तू न होती
तो मैं न होता ईर्ष्या
नाम बंगला शौहरत सब
तूने ही तो दिये मुझे
शुक्रिया तेरा हर पल ईर्ष्या

Language: Hindi
402 Views
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