ईर्ष्या भाव का त्याग
व्यंग्य
ईर्ष्या भाव का त्याग
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आपका सुझाव तनिक नहीं भाया
ईर्ष्या के बिना भला
कैसी होगी ये काया?
आप क्या जानो ईर्ष्या के गुण
ईर्ष्या में ही तो मैंने भारत रत्न पाया।
ईर्ष्या ही मेरे जीने का सहारा है
बिना ईर्ष्या के न मेरा गुजारा है,
खाने को रोटी, पीने को मिले न मिले
चलो कोई बात नहीं,
मैं फिर भी जी लूंगा,
ईर्ष्या के बिना अपना बी.पी., शुगर जरूर बढ़ा लूंगा।
ईर्ष्या त्याग की बात अब और न कीजिये
वरना अपना जीवन समाप्त कर लूंगा।
आपको कुछ समझ तो है नहीं
ईर्ष्या के लक्षण आप मेंं
तनिक भी दिखते ही नहीं,
इसलिए ईर्ष्या त्याग का भाषण पिलाते हो।
ईर्ष्या के बिना जीवन मेंं रखा क्या है
किसी और की प्रगति, सूकून से
भला मुझे मिलता क्या है?
ईर्ष्या से ही मेरे दिन की शुरुआत
और सूकून भरी शाम होती है
ये ही तो मेरे जीवन की जाम होती है।
आपकी सलाह मेरे किसी काम की नहीं
ईर्ष्या के बिना जीने का और साधन नहीं
ईर्ष्या भाल त्याग मैं जी सकूंगा
ऐसा मुझे तो लगता ही नहीं।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक,स्वरचचित