ईर्ष्या उनका कर्म।
जलने बारे जलते रहते हैं। ईर्ष्या उनका कर्म है।जो हमेशा करते रहते हैं।पटता नहीं कुछ भी फिर भी उखाड़ते रहते हैं।उसकी पृतिभा से वह जलते रहते हैं।उसको दबाने का हर यत्न करते रहते हैं।इनको इतना जला दो कि राख बन जाये।फिर दुबारा कभी जलने न पाये।