*ईमान के पहरेदार*
हुक़ूमत-ऐ-नफऱत है प्यार कि मिनारों पर
ईंटे पड़ रहीं भारी ऊँची दीवारों पर।
निकल रहे बचकर काले पाप के ठेकेदार
लग रहा इल्ज़ाम ‘ईमान’ के पहरेदारों पर।
V.k.Viraz
हुक़ूमत-ऐ-नफऱत है प्यार कि मिनारों पर
ईंटे पड़ रहीं भारी ऊँची दीवारों पर।
निकल रहे बचकर काले पाप के ठेकेदार
लग रहा इल्ज़ाम ‘ईमान’ के पहरेदारों पर।
V.k.Viraz