ईमान की सूरत
सत्ता के गलियारे से झांक रही है खुदगर्ज आंखें ,
नहीं इनमें धर्म और ईमान की सूरत कोई ।
है सभी तो यहां रंगे हुए खूंखार सियार ,
यकीन कोई इनपर कैसे करे कोई ?
सत्ता के गलियारे से झांक रही है खुदगर्ज आंखें ,
नहीं इनमें धर्म और ईमान की सूरत कोई ।
है सभी तो यहां रंगे हुए खूंखार सियार ,
यकीन कोई इनपर कैसे करे कोई ?