ईमानदार और धोखेबाज
किसी गांव में दो व्यक्ति रहते थे एक का नाम “ईमानदार” और दूसरे का नाम “धोखेबाज” था। दोनों की नेचर एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत थी “ईमानदार” बहुत भला और सच्चा था जबकि “धोखेबाज” बहुत मक्कार और झूठा था। यूं सभी लोग “ईमानदार” को बहुत पसंद करते थे। जहां कहीं भी देखो अक्सर लोग “ईमानदार” की बातें करते थे उसकी हर जगह तारीफ करते थे। और सब एक दूसरे को “ईमानदार” की तरह बनने की सलाह देते थे। परन्तु व्यावहारिक तौर पे लोग “धोखेबाज” से ज़्यादा प्रेरित थे। क्यूंकि वो काफी बड़बोला और मीठा था अपने काम आसानी से बना लेता था। वह काफी अमीर था उसके पास दौलत शोहरत आलीशान बंगले बड़ी बड़ी गाडियां थी इसलिए लोग उसकी तरफ ज़्यादा आकर्षित होते थे। परन्तु “धोखेबाज” फिर भी अपने आप में संतुष्ट नहीं रहता था हमेशा और अमीर होने के सपने देखता रहता था। और उसके लिए वह सब कुछ करने को तैयार रहता था। किसी के साथ भी हेरा फेरी करने से नहीं चूकता था। जबकि “ईमानदार” काफी गरीब था। उसके पास न तो दौलत शोहरत थी न ही बंगले गड़ियां बस एक ठीक ठाक रहने लायक छोटा सा घर था। परन्तु वह अपने आप में संतुष्ट और खुश रहता था। वह ज़्यादा अमीर होने के सपने नहीं देखता था जो भी उसके पास था वो उसी में खुश था। वो किसी को नुकसान पहुंचा कर अपना फायदा नहीं चाहता था बल्कि सबके हक़ की बात करता था। सब लोग “ईमानदार” को मूर्ख और “धोखेबाज” को चतुर कहते थे क्यूंकि “धोखेबाज” हमेशा अपना हित साधने में लगा रहता था। जबकि “ईमानदार” दूसरों की भी परवाह करता था। “ईमानदार” दुनियावी तौर पर अक्सर थोड़ा परेशान रहता था क्यूंकि उसके पास ऐशो आराम की सुख सुविधाएं नहीं थी। बस खास ज़रूरत की कुछ चीज़ें ही थी जिनके सहारे वो ज़िन्दगी गुज़ार रहा था। लेकिन वो जहनी तौर पर काफी खुश रहता था क्यूंकि उस का किसी से कोई लेना देना, बाद विवाद नहीं था। जबकि धोखेबाज दुनियावी तौर पर बहुत खुश और मज़े में नजर आता था क्यूंकि उसके पास ऐशो आराम और मनोरंजन कि बहुत सी सुविधाएं थीं। किन्तु वह जहनी तौर पर बहुत परेशान रहता था क्यूंकि उसकी खुदगर्ज नेचर के कारण आए दिन किसी ना किसी से कोई ना कोई बाद विवाद झगड़ा फसाद लगा रहता था।