ईमानदारी
ईमानदारी सबसे बड़ी
इन से से बड़ा न कोय
जो करता कभी न चक्र
उनके जैसा कोई नहीं।
हम पथिक ईमानदारी के
निरंतर आगे बढ़ते जाते
जिनसे मिलता हमसबों को
दुनिया में आदर – सत्कार ।
प्रतारणा करके हम कभी
न रह सकते कभी उत्तम
हमें निष्कपट के पंथ पर
निरंतर आगे- बढ़ना होगा।
जो अपनाते सत्यनिष्ठ का पथ
वो अंधेरगर्दी की ओर मुड़ते न
स्पर्धा करके वह हमेशा से ही
जी रहे वो अपनी संपन्न हयात ।
निकृष्ट वक्त में हमें कभी भी
बिल्कुल न अकुलाना चाहिए
मंद वक्त में ही हम सबों को
होती है अपनों की पहचान ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार