ईद हो या कि होली पे जाएं सभी।
एक रचना
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आओ मिल जुल के खुशियाँ मनाएं सभी!
ईद हो या कि होली ………पे जाएं सभी!
नफ़रतों की दिवारें ………..न होंगी कहीं,
आओ सबको गले से ……..लगाएं सभी!
जिससे आपस में भी ……भाई चारा बढ़े,
गीत ऐसा …………कोई गुनगुनाएँ सभी!
धर्म इंसानियत का है………..सबसे बड़ा,
आओ इंसान ………बनके दिखायें सभी!
दुश्मनी से भला …………होने वाला नहीं,
देश दुनियाँ को प्रेमी ……….बनाएं सभी!
….. ✍ प्रेमी