ईद मुबारक…
तुमको सखे अब मैं क्या ही बोलूं ,
शीशा भी अब सच कहने से डरता है।
तुम जब से दूर गए हो चाँद गगन में थकता है
तुम जिस दर्पण को तकते होगे उस दर्पण को
ईद मुबारक… तुम को सबको, ईद मुबारक…
…सिद्धार्थ
तुमको सखे अब मैं क्या ही बोलूं ,
शीशा भी अब सच कहने से डरता है।
तुम जब से दूर गए हो चाँद गगन में थकता है
तुम जिस दर्पण को तकते होगे उस दर्पण को
ईद मुबारक… तुम को सबको, ईद मुबारक…
…सिद्धार्थ