ईद मीलाद-उन नबी पर नात ए पाक
दुनिया की अंगूठी में है नायाब नगीना।
शहरो में शहर आला शहर शहरे-मदीना।।
दिन रात बरसती हैं रहमतों की बदलियां।
रहता है नेमतों से सराबोर मदीना।।
महकी हुई है आज भी खुशबू से हर गली।
कुछ ऐसा बहाया है मुहम्मद(स.अ.व.) ने पसीना।।
हम दूर मदीने से हैं तो क्या है जिंदगी।
मरना भी कोई मरना है जीना कोई जीना।।
पूरी हो इस ” अनीश ” की रब एक आरजू।
सामने गुम्बदे-ख़िजरा हो और हज का महीना।