ईद पर दोहे
कैसे अपनी ईद हो, दिखा न अपना चाँद
आँखों मे ही रह गया, बन कर सपना चाँद
गले यादों से मिलकर, बह रहे आँसू झर झर
दिखा चाँद तो हो गया, खत्म माह रमजान
सारे जग में ईद का, तभी हुआ ऐलान
बड़े प्यार से कर लिया, सेवैयों का पान
तरह तरह के ईद में, और बने पकवान
निकला है जो ईद का, चाँद लग रहा हार
दिल मे सबके भर गया, खुशियों का अंबार
नये नये कपड़े मिले, और ढ़ेर सा प्यार
अम्मी अब्बू से मिला,ईदी का उपहार
सारे धर्म समान हैं ,उनके ईश्वर एक
आओ हम मिलकर बनें, जग में बन्दे नेक
16-06-2018
डॉ अर्चना गुप्ता