ईंट का दो जवाब पत्थर से
मत डरो दुश्मनों के खंज़र से
ईंट का दो जवाब पत्थर से
ज़िन्दगी किस तरह से जीनी है
सीख लें आप कुछ तो ठोकर से
दोष नाकामियों का दें किसको
लड़ तो सकते नहीं मुकद्दर से
सिर मुड़ाते ही देखिए हम पर
ओले पढ़ने लगे हैं ऊपर से
खारी हो जाती, छोड़ मीठापन
ये नदी इश्क कर समंदर से
हर समय साथ साथ रहकर भी
धरती मिलती नहीं है अम्बर से
दिल में तूफान ‘अर्चना’ फिर भी
दिखती केवल हँसी है बाहर से
13-02-2022
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद