दूसरा घर देख लो।
जैसी भी है जितनी भी है इज्जत है हमारी।
गर ना हो पसंद तुम्हें तो दूसरा घर देख लो।।1।।
गर सीरते यार है तो जिंदगी जन्नते बहार है।
ना आये यकी तो तुम घर बसा कर देख लो।।2।।
रहने लगोगे हमेशा ही किसी की खुमारीं में।
तुम भी किसी को अपना बना कर देख लो।।3।।
बड़ा गुमांन है तुमको यूँ अपनी इज़्ज़त पर।
मिलेगी रुसवाई यह दिल लगा कर देख लो।।4।।
मिलेगी ऐसी खुशी कि तुम बता ना पाओगे।
किसी गरीब को खाना खिला कर देख लो।।5।।
आ जायेगी इस महफ़िल में कयामत अभी।
ना मानो तो चेहरे से पर्दा हटा कर देख लो।।6।।
देंगें तुम्हें यहां के सारे ही बाग बड़ी दुआए।
इन परिंदों को पिंजड़ों से उड़ा कर देख लो।।7।।
छिन जाएगा तुम्हारा सारा दिल का सुकून।
किसी दिलदार से नज़रें लड़ा कर देख लो।।8।।
बन जाओगे यूँ आवाम के तुम भी मसीहा।
थोड़ी सी ही दरियादिली दिखा कर देख लो।।9।।
सारे बच्चे पलभर में बिस्तर पे सो जाएंगे।
कोई परियों की कहानी सुना कर देख लो।।10।।
आ जायेगी तुम्हारे अंदर भी काबिलियत।
तुम उसकी पहेली को सुलझा कर देख लो।।11।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ