इस साल, मैंने उन लोगों और जगहों से दूर रहना सीखा, जहाँ मुझे
इस साल, मैंने उन लोगों और जगहों से दूर रहना सीखा, जहाँ मुझे लगता है कि मेरी कद्र नहीं है। मैंने दूसरों को बहुत ज़्यादा समझाना, ज़बरदस्ती संबंध बनाना और दूसरों से मान्यता पाना बंद कर दिया। मैने मुफ्त का अपनापन देना और अपना मानना बंद कर दिया है। मैंने अपने अंतर्ज्ञान पर भरोसा किया, सीमाएँ तय कीं रिश्ते प्रेम के रहे सम्मान के रहे तो वही दूंगा और लेन देन स्वार्थ स्वभाव के रहे तो अंतर रहेगा भाषा और व्यवहार में और बिना किसी अपराधबोध के अपनी ऊर्जा को बाहर निकलना बंद । मुझे एहसास हुआ कि अपनी शांति की रक्षा करना ज़रूरी है और खुद को चुनना ही आत्म-प्रेम का सबसे बड़ा काम है। मत बनो भगवान दयावान रिश्ते में ओर इंसानों के लिए। अब लोगों के साथ जैसे वो है वैसे रहे। वक्त,जस्बात जाया नहीं करने है।