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2 Jan 2024 · 1 min read

*इस बरस*

रह गई जो भी चाहतें अधूरी आपकी
हो जाएं वो भी पूरी इस बरस
है यही दुआ हमारी तो आपके लिए
आपकी सारी मनोकामनाएं हो पूरी इस बरस

स्पर्श करो किसी पत्थर को अगर
वो भी बन जाए सोने की डली इस बरस
हो तलाश में अगर जीवन साथी की
तो मिल जाए तुम्हें कोई तीखी छुरी इस बरस

हैं जो भी नवविवाहित यहां
गूंजे किलकारियां उनके घरों में इस बरस
क्यों रहते हो उदास इस तरह
गोवा नहीं, जाओ तुम वृंदावन इस बरस

बैठा है जो युवा रोज़गार की चाह में
है दुआ उसकी नौकरी लग जाए इस बरस
सिर्फ़ अपना खर्चा ही नहीं उठाए
घर का तमाम खर्चा भी वो उठाए इस बरस

आंसू न आए किसी मासूम की आंखों में
बचपन को सड़कों पर न सोना पड़े इस बरस
भीख मंगवाते हैं जो मासूम बच्चों से
उनको सलाख़ों के पीछे जाना पड़े इस बरस

कोई भी जीते कोई भी हारे
क्या फर्क पड़ता है
हैं ये भी हमारे और वो भी हमारे
लोकतंत्र जीतना चाहिए इस बरस

अंधेरा मिट जाए हर किसी के जीवन से
दीये की रोशनी से जगमगाए जीवन इस बरस
मिल जाए छुटकारा मरीजों को बीमारियों से
हंसते खेलते नज़र आएं सब लोग इस बरस।

4 Likes · 1 Comment · 1596 Views
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