इस तरह वो मुझको पराया करती है
इस तरह वो मुझको पराया करती है
मिलन का वक्त बातों में जाया करती है
समंदर तो जानता है सीमाएं अपनी
बाढ तो नदीयों में आया करती है
जिंदगी खुद को मेरी सास समझने लगी है
रोज चार बातें सुनाया करती है
उसके और उसके रिश्ते में अब क्या बाकी है
वो उसे भइया कहके बुलाया करती है
प्रेम , प्यार , लव , इश्क़ , मुहब्बत और बाकी सब
नही यार वो मुझे गणित समझाया करती है
बर्फ़बारी की तरह जब आती हैं आफतें हयात में
तनहा लोगों को मांओं की दुआएं बचाया करती है