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23 Feb 2024 · 1 min read

इस तरह मुझसे नज़रें चुराया न किजिए।

इस तरह हमसे नजरें, चुराया न किजिए,
मेरी खता को हमसे, सुझाया भी किजिए।१।

होंगे हजारों आपके, अपने यहां मगर,
गैरों कि तरह हमको यूॅं ,ठुकराया न किजिए।२।

उल्फत कि शाम है जरा, खुद को संभालिए,
अपने ही बज्म से न, पराया सा किजिए।३।

मिलते हैं शहर में मेरे, अब अजनबी बन कर,
चेहरे के भाव इस तरह,न छुपाया किजिए।४।
कल तक मेरे शाए भी, रहे कैदमे जिनके,
गैरों पे अब गुल्फाम ,न लुटाया किजिए।५।

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