इस तरह कुछ लोग हमसे
ग़ज़ल
इस तरह कुछ लोग हमसे हम-सरी¹ करने लगे
ऐडियाँ अपनी उठा क़द-आवरी² करने लगे
हमने रस्मन उनकी कुछ तारीफ़ क्या कर दी कि वो
ख़ुद-नुमाई³, ख़ुद-सताई⁴, ख़ुद-सरी⁵ करने लगे
यादों की मिट्टी चढ़ा कर फ़िक्र-ओ-फ़न⁶ के चाक पर
कूज़ागर⁷ ले देख, हम कूज़ागरी⁸ करने लगे
शायरी का फ़न⁹ जिन्हें आया नहीं जब उम्र भर
सो सुख़न के नाम पर वो मस्ख़री करने लगे
ज़ेह्न जिनके पास था वो लोग ताजिर¹⁰ बन गये
दिल दिया रब ने हमें हम दिलबरी करने लगे
शहर में हर शख़्स पत्थर हाथ में थामे मिला
और हम उस शहर में शीशागरी¹¹ करने लगे
राहबर¹² करने लगे गुमराह जब हमको ‘अनीस’
मील के पत्थर हमारी रहबरी¹³ करने लगे
– अनीस शाह ‘अनीस ‘
1.प्रतिस्पर्धा 2.क़द बढ़ाना 3.आत्म प्रदर्शन 4.आत्म प्रशंसा 5.उद्दंडता 6.भाव और शिल्प 7.कुम्हार 8.कुम्हार का कार्य 9.कला 10.व्यापारी 11.काँच का व्यापार 12.पथ प्रदर्शक 13.पथ प्रदर्शन