इस तरफ आएगा कौन…..212 212 212
सब के आगे उदासी न रख
तलब को और प्यासी न रख
है मुझे रात भर जागना
जुगनुओं की तलाशी न रख
इस तरफ आएगा कौन अब
मुल्तवी और फांसी न रख
इश्क मुश्क छुप जाए भला
कोशिश खारिश-खांसी न रख
इत्र शीशी हो सिरहाने में
खुशबु अपनी दवा सी न रख
सुशील यादव
3.6.17