इस जीवन की चादर में ,साँसों के ताने-बाने है —आर के रस्तोगी
इस जीवन की चादर में,
साँसों के ताने -बाने है |
दुःख की थोड़ी सी सलवट है ,
सुख के कुछ फूल सुहाने है ||
क्यों सोचते ,आगे क्या होगा ,
अब कल के कौन ठिकने है ?
ऊपर बैठा है जो बाजीगर ,
जाने मन में क्या ठाने है ?
चाहे जितना भी जतन करो ,
भरना अब दामन तारो से है |
झोली में तेरे वो ही आयेगे ,
जितने तेरे नाम के दाने है ||
छोड़ तो उस परमपिता पर ,
जिसने तुम्हे बनाया है |
स्मरण करो प्रात: उसका ,
जिसने इस धरा पर लाया है ||
करने है तुमको नेक कार्य ,
और कुछ भी नहीं करना है |
विश्वास करो तुम उस पर ही ,
उसने ही कर्मो के फल देना है ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम मो 9971006425