इस ज़िंदगी में जो जरा आगे निकल गए
इस ज़िंदगी में जो जरा आगे निकल गए
कद बढ़ते ही विचार भी उनके बदल गए
देते हैं आज ठोकरें पाषाण की तरह
लगता है भूल अपना वो जैसे हैं कल गए
डॉ अर्चना गुप्ता
इस ज़िंदगी में जो जरा आगे निकल गए
कद बढ़ते ही विचार भी उनके बदल गए
देते हैं आज ठोकरें पाषाण की तरह
लगता है भूल अपना वो जैसे हैं कल गए
डॉ अर्चना गुप्ता