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17 Nov 2024 · 1 min read

इस ज़िंदगी ने तो सदा हमको सताया है

इस ज़िंदगी ने तो सदा हमको सताया है
पाने की हमने चाह में कितना गँवाया है
फिर भी न टूटने दिया इस दिल को ‘अर्चना’
हँस -हँस के दर्द हमने गले से लगाया है
डॉ अर्चना गुप्ता
17.11.2024

Language: Hindi
6 Views
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