इस चक्रव्यूह से जितना बचे अच्छा है
कोई बुरा करे और
हमे बुरा न लगे
तो उसे बुरा लगता है
कोई भला करे
हम भला न कहे
तो भी उसे बुरा लगता है
कोई ग़ुस्सा करे
हम नाराज़ न हो
तो भी उसे बुरा लगता है
कोई कुछ अच्छा करें
हम धन्यवाद न दे
तो भी उसे बुरा लगता है
दरसअल हमे हरेक
क्रिया की प्रतिक्रिया चाहिए
और ये ही सब परेशानी का कारण है
इस चक्रव्यूह से जितना बचे अच्छा है
दीपाली कालरा
नई दिल्ली