इसे रोको!
रोक सकते हो तो इसे रोको? ये भीड़ कहां जा रही हैं?क्षण भंगुर सुख की प्राप्ति हेतु सारा सर्वस्व न्यौछावर किये जा रही है।रोक सकते हो तो रोको इसे, असत्य का साथ लिये चल रही है।भुला कर अपना असली वादा,मुखर होती जा रही है। रोक सकते हो तो इसे रोको,ये व्यवहार को भूलती जा रही है। जिसने तुझे पाला पोसा उसके विश्वास को खोती जा रही है। रोक सकते हो तो इसे रोको, ये मधुशाला की तरफ चली जा रही है।ये अपनी मंजिल भटक चुका है, फिर भी मंजिल की ओर बढ़ती जा रही है।।