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16 Oct 2020 · 1 min read

इससे ज्यादा कुछ नहीं

जो न हो मुकम्मल ऐसी जमीं चाहिए
छूट जाए सारी खुशियां , मुझे दुःखों की आसमां चाहिए।

कामयाबी चाहती हूं इसलिए असफलता की सीढ़ी चाहिए
गर दे मोहलत जिन्दगी ,
कुछ नहीं बस पढ़ने को जिन्दगी की किताब चाहिए

जुगनू हूं पर मुझे “चंद्रप्रभा” चाहिए
बह रहे हो आंसू मगर चेहरे पे मुस्कान चाहिए

टूटकर बिखर जाऊं मगर चट्टान सा हौंसला चाहिए
“इससे ज्यादा कुछ नहीं” दुआ में आखिरी सांस चाहिए

–Prabha Nirala

Language: Hindi
4 Likes · 3 Comments · 284 Views
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