इश्क़ से शिकायत भी बहुत थी
इश्क़ से शिकायत भी बहुत थी
दिल ने दी हिदायत भी बहुत थी
इश्क़ की गलियों में दिल ने
की आज़माईश भी बहुत थी
इश्क़ में जुदाई की रातों में
दिल में घबराहट भी बहुत थी
दिल लगाने से पहले
रियायत भी बहुत थी
तिश्रगी ऐ इश्क़ की चाह में
दिल की क़ीमत लगाई भी बहुत थी
ज़िस्म की प्यास बुझाने को
आग लगाई भी बहुत थी
गम्माज़ खिलौने की तरह
दुनिया बनावटी भी बहुत थी
गमगुस्सार गम्माज़ की इस दुनिया में
ग़मगुसारों ने पोत डुबाई भी बहुत थी
भूपेंद्र रावत
23।08।2017