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24 Aug 2017 · 1 min read

इश्क़ से शिकायत भी बहुत थी

इश्क़ से शिकायत भी बहुत थी
दिल ने दी हिदायत भी बहुत थी

इश्क़ की गलियों में दिल ने
की आज़माईश भी बहुत थी

इश्क़ में जुदाई की रातों में
दिल में घबराहट भी बहुत थी

दिल लगाने से पहले
रियायत भी बहुत थी

तिश्रगी ऐ इश्क़ की चाह में
दिल की क़ीमत लगाई भी बहुत थी

ज़िस्म की प्यास बुझाने को
आग लगाई भी बहुत थी

गम्माज़ खिलौने की तरह
दुनिया बनावटी भी बहुत थी

गमगुस्सार गम्माज़ की इस दुनिया में
ग़मगुसारों ने पोत डुबाई भी बहुत थी

भूपेंद्र रावत
23।08।2017

1 Like · 243 Views

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