इश्क़ मे लगने लगी हैं बोलियां ।
ग़ज़ल।इश्क़ मे लगने लगी है बोलियां ।।
प्यार मे आयी ग़मो की आधियां ।
हो गयी वीरान दिल की बस्तियां ।।
आँशुओ के ढेर पर सोना पड़ा ।
काम न आयी हमारी अर्जियां ।।
फ़लसफ़े हमने सुने थे प्यार के ।
इश्क़ मे लगने लगी है बोलियां ।।
वक़्त का मारा हुआ है आदमी ।
कौन करता है वफ़ा मे गलतियां ।।
एकतरफा प्यार तो होता नही ।।
दोनों हाथों से बजी है तालियां ।।
आजमाना तू मुझे अब छोड़ दे ।
बीत जाएगी जफ़ा मे सर्दियां ।।
सुन तिरा रकमिश यहां बीमार है ।
ख़ुद वहां पर कर रहे हो मस्तियां ।।
-राम केश मिश्र