||इश्क़ की राह ||
“कुछ यादें सुनी सुनी सी
रोती है अब भी दिल में
कुछ वादे तन्हा तन्हा से
बिखरे पड़े है लब पे,
यादों की उन शाख पे फिर से
कुछ फूल नए से खिल आते है
बुझे हुए मन में फिर से
प्यार की उम्मीद जगा जाते है ,
उन झील सी नीली आखों में फिर
यौवन के दिन नजर आते है
दिल के हसीन बाग में फिर से
चाहत के फूल खिल आते है ,
ना होता पता इन्हे है कुछ
होंगी साथ ये उम्मीदे कब तक
ये प्यार के झूठे कसमे वादे
क्या होंगे जीवन के अंतिम क्षण तक ||”