Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jul 2024 · 1 min read

इश्क

इश्क तुझे अपने पर इतना इतवार क्यों,
कभी सोचा है, कितनों का दिल तोड़ तु,
खोया कहीं और था तु,
ना जाने कितने आशिकों अपने चंगुल में फंसा के,
तु लेता रहा मजा उसका,
इश्क तु तो बेदर्दी है यार,
आग दिल में भड़का के
फिर जलने के लिए अकेला छोड़ जाता,
इश्क क्यों इतराता है तु इतना,
अपने पे
आखिर क्या है तुझ में,
जो दुनिया भागती तेरे पिछे।

Language: Hindi
51 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आज के रिश्ते
आज के रिश्ते
पूर्वार्थ
दरवाज़े
दरवाज़े
Bodhisatva kastooriya
पर्यावरण
पर्यावरण
Neeraj Agarwal
ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ओसमणी साहू 'ओश'
धर्म निरपेक्षता
धर्म निरपेक्षता
ओनिका सेतिया 'अनु '
सुप्रभातम / शुभ दिवस
सुप्रभातम / शुभ दिवस
*प्रणय प्रभात*
साथ मेरे था
साथ मेरे था
Dr fauzia Naseem shad
........,,?
........,,?
शेखर सिंह
संसाधन का दोहन
संसाधन का दोहन
Buddha Prakash
कविता - 'टमाटर की गाथा
कविता - 'टमाटर की गाथा"
Anand Sharma
बघेली कविता -
बघेली कविता -
Priyanshu Kushwaha
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पेड़ों से अगर हमें वाई फाई सिग्नल मिलता तो हर घर के सामने हो
पेड़ों से अगर हमें वाई फाई सिग्नल मिलता तो हर घर के सामने हो
Ranjeet kumar patre
कहाँ मिलेगी जिंदगी  ,
कहाँ मिलेगी जिंदगी ,
sushil sarna
स्वयं को बचाकर
स्वयं को बचाकर
surenderpal vaidya
पर्वत 🏔️⛰️
पर्वत 🏔️⛰️
डॉ० रोहित कौशिक
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
Kanchan Khanna
भूमि दिवस
भूमि दिवस
SATPAL CHAUHAN
*मिलती है नवनिधि कभी, मिलती रोटी-दाल (कुंडलिया)*
*मिलती है नवनिधि कभी, मिलती रोटी-दाल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
लोग कहते रहे
लोग कहते रहे
VINOD CHAUHAN
बदलता_मौसम_और_तुम
बदलता_मौसम_और_तुम
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
24/494.💐 *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका* 💐
24/494.💐 *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कई बात अभी बाकी है
कई बात अभी बाकी है
Aman Sinha
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
Rituraj shivem verma
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जिंदगी रोज़ नये जंग दिखाए हमको
जिंदगी रोज़ नये जंग दिखाए हमको
Shweta Soni
നീപോയതിൽ-
നീപോയതിൽ-
Heera S
वादों की तरह
वादों की तरह
हिमांशु Kulshrestha
कलम
कलम
Kumud Srivastava
Loading...