“इश्क”
इश्क हो तो कुछ ऐसा हो,
जिसके सौरभ के समक्ष
हजार फूल भी फीके पड़ जाएँ,
जिसकी दीप्ति
हजारों चिराग रोशन कर जाए,
जिसकी पैंठ
दो जहाँ में भी ना समाए,
जिसका प्रापण पर
मोक्ष की कामना भी ना रह जाए,
बस वासना से दूर वो
हृदय से हृदय तक की आवाज़ कहलाए।।
16 June 2022 5:55 pm
✍माधुरी शर्मा”मधुर”
अम्बाला हरियाणा ।