इश्क वो गुनाह है
इश्क़ वो गुनाह है ,जो सज़ा दे उम्र भर।
सब हिदायतें देते है,बंदे तू इश्क न कर।
एक प्यारा एहसास,कर दे हमें पागल।
दीवाना,सरफिरा,और आवारा बादल।
हम खूबियां बताये,या बताये कोई कमी।
छीने लबों से हंसी,भर दे आंख में नमी।
पर्दे में रखना इसको,होता नहीं मुमकिन
आहें दिन रात की, बेचैन रहें रात दिन।
इश्क वो गुनाह जो,करना चाहिये जरूर
दिल में मीठी कसक,ला दे चेहरे पर नूर।
सुरिंदर कौर