इश्क में हमसफ़र हों गवारा नहीं ।
इश्क में हमसफ़र हों गवारा नहीं ।
झूंठ कहती हो कोई हमारा नहीं ।।
इश्क में एक पल भी हमारे बिना ।
झूंठ कहती हो तुमने गुजारा नहीं ।।
इश्क दरिया हमारा जो प्यारा कभी।
आज कहती हो इसमें किनारा नहीं।।
फूल तुम बन गई तो भ्रमर आ गए ।
झूंठ कहती हो इसमें इशारा नहीं ।।
ज़ख्म खाते रहे हम अकेले सनम।
झूँठ कहती प्रखर ने पुकारा नहीं ।।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘