**इश्क में यूँ ही बदनाम हो गया**
**इश्क में यूँ ही बदनाम हो गया**
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इश्क में यूँ ही बदनाम हो गया,
जगत में फिर भी है नाम हो गया।
शीशे सा नाजुक दिल न सह पाए,
पल मे झट से टूटना आम हो गया।
गिले – शिकवों से भरी महफ़िल में,
सोचा भी न था ऐसा काम हो गया।
देखते ही देखते प्यार के बाजार में,
बहुत ही ज्यादा ऊँचा दाम हो गया।
इस कदर हुआ मनसीरत खुशनुमा,
गमनुमा माहौल में आराम हो गया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल(