इश्क दरिया है आग का
इश्क़ दरिया है आग का, तैर कर पार करेंगे दरिया को
डूब जाएँ तो भी मुनाफा है रिश्वत क्या देनी किसी खुदा को
सुनो तमाम पूँजी लगा दी है मैंने तो इश्क़ के बाजार में
अब देखें नुकसान मुझे होता है कि फायदा दोनों को
खुशबुओं को बुला लिया है मैंने इशारों से अपने करीब
अब देखें वो आते हैं कि नहीं आते है छोड़ के चमन को
उफ्फ लोग उड़ाने लगे हैं अब मजाक मेरी दीवानगी का
हमें अब इंतजार है कि कब आते हैं जवाब देने जहान को
हमने फैंसला छोड़ दिया है खुदा पर वो ही इंसाफ करेगा
सरारत आँखों की कसक दिल की सजा ना मिले रूह को
आसमान पर सूरज और तारों का अलग रूतबा जरूर है
पर कौन भला भूल जाए जो देख ले पूनम के चाँद को