इश्क तो बेकिमती और बेरोजगार रहेगा,इस दिल के बाजार में, यूं ह
इश्क तो बेकिमती और बेरोजगार रहेगा,इस दिल के बाजार में, यूं ही मारा-मारा फिरेगा।
न सिक्कों की खनक, न कागज़ की चमक,इश्क की यही कीमत, सच्चे रिश्तों में गमक।।
दुनिया ने तोल दिया, इस अमूल्य एहसास को,हर रिश्ते में खोजते हैं, बस लाभ और खास को।
समझा नहीं गया, दिल की पुकार को,इश्क की इस कीमत को, दुनिया के व्यापार को।।
जब मिला था इश्क, हर रिश्ता था हसीन,बिन कीमत के ये धन, बना था नगीना।
पर दुनिया की नजरों में, ये बस एक खेल,कहां देखे दिल की बातें, कहां समझे ये मेल।।
मोहब्बत का सफर, बेरोजगारों की तरह,चलते रहते हैं, बिना किसी ठिकाने के यहां।
रिश्तों में वो गहराई, अब नहीं मिलती,इश्क की कीमत, दिलों में कहीं नहीं खिलती।।
हर कदम पर, हर मोड़ पर, इश्क को ठुकराया,दौलत की चमक में, सच्चे प्यार को भुलाया।
अब न वो वादे, न वो कसमें,इश्क की बातें, बस रह गई हैं रस्में।।
जो थे कभी पास, अब दूर हो गए,इश्क की बेकिमती, सच्चे रिश्तों से दूर हो गए।
अब कौन समझेगा, दिल की इन धड़कनों को,इश्क की इस बेरोजगारी, और उसके सपनों को।।
यही कीमत इश्क के बाद बनने वाले रिश्तों की,जिन्हें दुनिया ने समझा, सिर्फ एक फ़साना।
पर सच्चे दिलों में, ये है अमिट निशान,इश्क तो बेकिमती और बेरोजगार, फिर भी महान।।