इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
हमदर्दी इतना न दिखाइए समय की लीला की अनिश्चयता के शिकार हो जाएँ।
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
हमदर्दी इतना न दिखाइए समय की लीला की अनिश्चयता के शिकार हो जाएँ।