इश्क के खत तेरे- गीत
जो उजालों में न मिले , वो अंधेरों में मिले
इश्क के खत तेरे, बस किताबों में मिले
हमको न पता था , कि इस तरह से मिले
जब भी हमको मिले, वो उलझनों में ही मिले
सुलझाने को भी तो हम, जाने कितने बार हैं मिले
न जाने कैसे -२, हम भी तो उलझे ही मिले
पढ़ -२ के खत उनके, बस हम छिपाते ही मिले
और दुनियाँ के डर से, खुद को डराते ही मिले
बढ़ा के दिल की धड़कने, बस संभालते ही मिले
आँख मिल भी गईं तो, बस उसे चुराते ही मिले
चोरी-२ इश्क के , क्या अंजाम हैं मिले
वो तो कहीं और, किसी की बाहों में मिले
बस दिल को समझाने के, अब मौके भी न मिले
जो भी हमको मिले, बस ऐसे हादसे ही मिले
पढ़- २ के खत अब तो, दीवारों से पूछते ही मिले
देर हो गई इतनीं , खुद को समझाते ही मिले
खुशबुएँ उन खतों की, हम तो संभालते ही मिले
दरिया भी तो आग के, बस पार करते ही मिले
मुश्किलों के दौर से, हम गुजरते ही मिले
वक़्त के पड़ावों से ही, हम तो झगड़ते ही मिले
Lyrics By -Kamlesh Sanjida
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