इश्क की गहराई
जानते हो तुम मुझे जीवन के उस मोड़ पर मिले थे
जब कही कुछ दबी ख्वाइशें रह गई थी अंतर्मन में
जब कुछ शौक बचे थे बनने संवरने के,
आईने में देख स्वयं को निखारने में ।
तुम मिले आइना देखना भूल गए हम
तुम्हारी आंखों में बन कर प्यार बस गए हम
इस प्यार को तुमने खूब सजाया – संजोया
मुझे दिन प्रतिदिन और मनमोहक बनाया
तेरे इश्क में ऐसे डूबे हम, जाने कितनी
गहराई में उतरते चले गए हम ।
जब आंख खुली तो देखा दिल थामे
इन गहराईयों में मैं अकेला खड़ा था
मेरे हाथो से तुम्हारी पकड़
जाने कब की छूट चुकी थी ,
किनारों पर भी तो कही नही थे तुम,
इन इश्क की गहराईयों में मुझे अकेला
जो छोड़ गए थे तुम…
🖤🍁🖤
स्मृतियां