इश्क की खुशबू में ।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
इश्क की खुशबू में महक रहे है।
मोहब्बत में हदों से गुज़र रहे है।।1।।
चांदनी ए कमर भी उरूज पे है।
खुमारी ए इश्क में बहक रहे है।।2।।
अरमान दो दिलो में जग रहे है।
जुगनूओ से शब में चमक रहे है।।3।।
थोड़ी सी पीके वो उलझ रहे है।
मैखाने में बैठ कर झगड़ रहे है।।4।।
हमसे वो झूठा इश्क कर रहे है।
वफ़ाके वादे से जो मुकर रहे है।।5।।
मजहब की आग की लपटों में।
जानें ही कितने घर जल रहे है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ