इश्क की खुमार
#दिनांक:- 28/7/2023
#शीर्षक:- इश्क की खुमार
थी शाम प्रहर,
पहली बार ,
मिले थे दोनों की नजर ,
एक झुकाये हुए,
एक झुके हुए को ,
टकटकी लगाये हुए ,
शर्म का परिन्दा ,
था साथ में ,
पर एक बार देखने की ,
जिद थी आँख में,
नजर से नजर टकरायी,
इश्क की जैसे खुमारी छायी ,
नये प्यार का आगाज हुआ ,
चेहरा पूनम का चाँद हुआ…..,
दो लफ़्ज़ों में लिखना था,
लिख दिया,
दोनों ने सारा जहाँ,
काजल पर लिखा,
नाम ‘मेरा-तुम्हारा’
एक खुबसूरत इश्क,
परवान चढ़ गया ,
दो अंजान दिलों का,
सुन्दर जहान बन गया|
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है|
“प्रतिभा पाण्डेय” चेन्नई