इश्क का सही सबक नहीं है l भाग – २
भाग – २
इश्क का सही सबक नहीं है l
इश्क से कुछ ताल्लुक नहीं है ll
द्वेष जीवन में, छाया न है l
मौत सी कुछ धक धक नहीं है ll
रूप, रस, रंग, की चाह न है l
मानव है पर, रसिक नहीं है ll
शराब, शबाब, मदहोशी है l
मजिल से लगी, सड़क नहीं है ll
सच्चा है तो, चिंता ना कर l
दयावान, कहाँ तक नहीं है ll
सत्य सदा ही, अतिसुन्दर है
इससे सुंदर, सबक नहीं है ll
सब होते, सही सुख नहीं है l
तू सच्चा, अभी तक नहीं है ll
कर्म, कर्तव्य है, मोह न है l
यूँ प्यास की बकबक नहीं है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”