इश्क-ए-वफा
तू पाले थी नफरत दिल में
मैंने तो था पाला प्यार
तेरी नफरत सच्ची थी पर
झूठा न था मेरा प्यार
तेरा नफरत जीत गया है
हारा है आज मेरा प्यार
बोलो सनम तूने क्यों उजाड़ी
बसा बसाया यह संसार
दिल होता है नाजुक प्रिये
नहीं सह पाता कोई वार
हो गया है घायल अब तो
जो किये तूने बातों का प्रहार
सुनो बात तू मेरा प्रिये
दिल तुम्हारे था किए हवाले
नाम लिखा था उस पर तेरा
था जो पहले कोरे-कोरे
पर शायद सब निष्काम हुआ
नफरत भी सरेआम हुआ
इंतजार किया बहुत मैं तेरा
पर सब है अब बेकार हुआ
सुनो प्रिये फिर बात मेरी
आज हुई जो जीत तेरी
खुशी है इस बात का मुझको
पर अफसोस भी है….भूलाने का तुझको
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