इश्क़
इश्क है अगर,तो बताता क्यों नहीं
उसे,अपने गले से लगाता क्यों नहीं
क्या हासिल किया,दिल में छुपाकर
जज़्बात के साथ,बह जाता क्यों नही
कैद करने की कोशिश मत कर,इनको
ख्यालों को और भी,फैलाता क्यों नहीं
कोई भी नही है,मजबूत तुझसे ज्यादा
हौंसलो को पर अपने, लगाता क्यों नही
फैलाने दे उन्हें,नफरतें जहान में,बशर
प्यार बन दिलों में,समाता क्यों नहीं
कुर्सी से चिपका हुआ, रहने दे उसे
तू दिल के गुरूर को, हराता क्यों नही
पेट भरा है तेरा,खुदा का दिया सब है
किसी भूखे को खाना,खिलाता क्यों नही
विशाल..✍️✍️