इश्क़
ख़ामोश है लब्ज़
धधक सीने में है
इश्क़ का जाम है
मज़ा पीने में हैं।
सुलगती है चिंगारी
धड़क जीने में हैं
कसक है दिल में
मज़ा पीने में हैं।
ज़ख्म है इसमें
तो मरहम भी हैं
लबों पे हसीं है गर
तो आंखें नम भी है।
ख़ामोश है लब्ज़
धधक सीने में है
इश्क़ का जाम है
मज़ा पीने में हैं।
सुलगती है चिंगारी
धड़क जीने में हैं
कसक है दिल में
मज़ा पीने में हैं।
ज़ख्म है इसमें
तो मरहम भी हैं
लबों पे हसीं है गर
तो आंखें नम भी है।