इश्क़ से इंकलाब
इश्क और हुश्न का
शायर होने के
बावजूद
देश और समाज के
संगीन हालात के
मद्देनजर
मैं बगावत और
इंकलाब के
नग्मे गाने लगा।
लाज़मी है
जब पूरी इंसानियत ही
खतरे में हो तो
निजी जज़्बात की
क्या अहमियत
रह जाती है!
-Shekhar Chandra Mitra