Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2024 · 1 min read

इश्क़ नहीं आसान

इश्क़ नहीं आसान, इतनी सी बात है।
टूटें सब अरमान ,इतनी सी बात है।

खुद से बढ़ कर ,किसी को है चाहना
है खुदा का फरमान, इतनी सी बात है।

दिल का धड़कना ,आंखों का मिलना
मरने का सामान, इतनी सी बात है।

हर पल हम ढूंढते हैं उनकी ही आहटें
तन बन जाए कान ,इतनी सी बात है।

जिस को देख देख ,जीते हैं दीवाने
मारे वहीं बेईमान,इतनी सी बात है।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
77 Views
Books from Surinder blackpen
View all

You may also like these posts

रक्त संबंध
रक्त संबंध
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम इतने आजाद हो गये हो
तुम इतने आजाद हो गये हो
नेताम आर सी
कोई मिलता है
कोई मिलता है
shabina. Naaz
" जल "
Dr. Kishan tandon kranti
सावन तब आया
सावन तब आया
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जो लड़कियां केवल अपने सौंदर्य को चमकाती है।
जो लड़कियां केवल अपने सौंदर्य को चमकाती है।
Rj Anand Prajapati
ज्ञान प्रकृति का हम पाएं
ज्ञान प्रकृति का हम पाएं
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
Neelofar Khan
लगा जैसे उसकी आंखों में सारा समंदर समाया हो,
लगा जैसे उसकी आंखों में सारा समंदर समाया हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आज़ादी का जश्न
आज़ादी का जश्न
अरशद रसूल बदायूंनी
*पाते हैं सौभाग्य से, पक्षी अपना नीड़ ( कुंडलिया )*
*पाते हैं सौभाग्य से, पक्षी अपना नीड़ ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
9) खबर है इनकार तेरा
9) खबर है इनकार तेरा
पूनम झा 'प्रथमा'
3. Showers
3. Showers
Santosh Khanna (world record holder)
"सुनो एक सैर पर चलते है"
Lohit Tamta
सम्मान नहीं मिलता
सम्मान नहीं मिलता
Dr fauzia Naseem shad
अब तो ख्वाबों में आना छोड़ दो
अब तो ख्वाबों में आना छोड़ दो
Jyoti Roshni
खोटे सिक्कों के जोर से
खोटे सिक्कों के जोर से
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ना तुझ में है, ना मुझ में है
ना तुझ में है, ना मुझ में है
Krishna Manshi
"Know Your Worth"
पूर्वार्थ
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
नन्हा बालक
नन्हा बालक
Ruchi Sharma
मेरे राम
मेरे राम
Ajay Mishra
आदरणीय मंच,
आदरणीय मंच,
Mandar Gangal
पत्नी व प्रेमिका में क्या फर्क है बताना।
पत्नी व प्रेमिका में क्या फर्क है बताना।
सत्य कुमार प्रेमी
सोना  ही रहना  उचित नहीं, आओ  हम कुंदन  में ढलें।
सोना ही रहना उचित नहीं, आओ हम कुंदन में ढलें।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों,
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों,
डी. के. निवातिया
रिश्ते
रिश्ते
राकेश पाठक कठारा
मैं अपने बिस्तर पर
मैं अपने बिस्तर पर
Shweta Soni
फुलवा बन आंगन में महको,
फुलवा बन आंगन में महको,
Vindhya Prakash Mishra
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
Loading...