Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jun 2024 · 1 min read

इश्क़ का मौसम रूठने मनाने का नहीं होता,

इश्क़ का मौसम रूठने मनाने का नहीं होता,
अगर हम साथ हैं तो ये सर्दी भी मुझे पसंद है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

55 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
Harminder Kaur
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
Ranjeet kumar patre
This is Today
This is Today
Otteri Selvakumar
..
..
*प्रणय*
शब्द ही...
शब्द ही...
ओंकार मिश्र
रे मन  अब तो मान जा ,
रे मन अब तो मान जा ,
sushil sarna
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
शेखर सिंह
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
Ravi Prakash
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बिखरा ख़ज़ाना
बिखरा ख़ज़ाना
Amrita Shukla
अंजाम
अंजाम
TAMANNA BILASPURI
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
सत्य कुमार प्रेमी
ചരിച്ചിടാം നേർവഴി
ചരിച്ചിടാം നേർവഴി
Heera S
कौन सुनेगा बात हमारी
कौन सुनेगा बात हमारी
Surinder blackpen
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
जिन्दगी की किताब में
जिन्दगी की किताब में
Mangilal 713
मुझे क्या मालूम था वह वक्त भी आएगा
मुझे क्या मालूम था वह वक्त भी आएगा
VINOD CHAUHAN
अपराह्न का अंशुमान
अपराह्न का अंशुमान
Satish Srijan
*पानी केरा बुदबुदा*
*पानी केरा बुदबुदा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
Rajesh vyas
इल्म की रौशनी का
इल्म की रौशनी का
Dr fauzia Naseem shad
ना मसले अदा के होते हैं
ना मसले अदा के होते हैं
Phool gufran
प्रेम
प्रेम
Pratibha Pandey
नाक पर दोहे
नाक पर दोहे
Subhash Singhai
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
कवि दीपक बवेजा
राम हमारे श्याम तुम्हारे
राम हमारे श्याम तुम्हारे
विशाल शुक्ल
*कालरात्रि महाकाली
*कालरात्रि महाकाली"*
Shashi kala vyas
राख के ढेर की गर्मी
राख के ढेर की गर्मी
Atul "Krishn"
ज़िंदगी भर की हिफ़ाज़त की क़सम खाते हुए
ज़िंदगी भर की हिफ़ाज़त की क़सम खाते हुए
पूर्वार्थ
2818. *पूर्णिका*
2818. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...