इश्क़ कमा कर लाए थे…💐
जो साथ ले गए वो भी गवाँ कर आये थे,
बैग खाली लाए क्योंकि हम इश्क़ कमा कर लाए थे,
इधर से तंदुरुस्त गए उधर से बीमार आए थे,
हम हँस रहे थे क्योंकि दिल की बीमारी साथ लाए थे ।।
पापा दुखी थे क्योकि हम गुलाम बनकर आए थे,
माँ हँस रही थी क्योंकि हम अमीर होकर आए थे,
हाड़ माँस का बदन रह गया था कपड़ों के नीचे,
क्योंकि हम अपनी रूह उधर ही छोड़ आए थे ।।
दोस्त हमारे गाड़ियों से आए और हम,
फकीरों की भाँति मीलों दूर पैदल ही चल आए थे,
वो थक गए थे ऐसो आराम की जिंदगी में,
और हम अभी चल ही रहे थे क्योंकि इश्क़ की मंजिल आँखों में लाए थे ।।
अब सभी जरूरतें पूरी हो रही थी,
क्योंकि हम अपनी गुल्लक इश्क़ से भर कर लाए थे,
अब प्रेम का सौदा हम प्रेम से ही करने लगे थे,
क्योंकि हम प्रेम का साहूकार बनकर आए थे ।।
कोई हीरा बेचे कोई सोना बेचे कोई सौहरत बेचे ,
और हम बाजार में मोहब्बत दुकान खोलने आए थे,
हम इश्क़ के व्यापारी और ग्राहक हो गए थे,
क्योंकि हम केवल इश्क़ ही कमाकर लाए थे ।।
prAstya…….(प्रशांत सोलंकी)