इशारों को अगर समझो, राज़ को राज़ रहने दो,
इशारों को अगर समझो, राज़ को राज़ रहने दो,
जो बातें दिल में हो, उसे होंठों को कहने दो,
मोहब्बत एक नशा है उसे करना नहीं,
उसे दिल में बसाकर, आंखों से कहने दो,
नफ़रत करना किसी से वो भी तो मोहब्बत है,
अरे लोग जो कुछ भी कहते हैं कहने दो,
मिन्नत करना लाज़िम नहीं इश्क़ में,
इश्क़ को खुद्दारी से अपनी बातें कहने दो,
खत लिखना उसे भेज देना मोहब्बत नहीं,
खत को अपनी बातें दूर से ही कहने दो।